हेलो दोस्तों इस आर्टिकल समास किसे कहते है/Samas Kise Kahate Hain | समास के भेद तथा उनकी परिभाषा और उदाहरण में हिंदी व्याकरण(Hindi Vyakaran) के एक महत्वपूर्ण आयाम के बारे विस्तृत रूप से चर्चा की गयी है। दैन्य-दिन के प्रयोग के आधार पर यह कहा जा सकता है कि हिंदी व्याकरण के अंतर्गत समास किसे कहते हैं?(Samas Kise Kahate Hain?) | समास की परिभाषा व 6 भेद का अध्ययन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। आगामी प्रतियोगी परीक्षा जैसे UPPSC,UPPSC RO/ARO,UPPSC-PET,UPSI,UP LEKHPAL,UPTET तथा साथ ही साथ अन्य विविध राज्यों के लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा के दृष्टिकोण से समास किसे कहते है? | इसके कितने प्रकार है | samas full explain | hindi grammar काफी अहम् हो जाता है।तो चलिए इस आर्टिकल की शुरुवात करते हैं।
समास की परिभाषा (Definition of Samas) – समास किसे कहते है(Samas Kise Kahate Hain)
दो अथवा दो से अधिक शब्दों के परस्पर मेल से जब एक नवीन सार्थक शब्द की व्युत्पत्ति होती है, तो इस प्रकार के संयोग को समास कहते हैं,अर्थात समास पदों का लोप होकर एक नए शब्द की व्युत्पत्ति होती है।
बने हुए नए शब्द को सामासिक शब्द की संज्ञा दी जाती है तथा शब्दों के संयोग को समास की संज्ञा दी जाती है।
समास प्रक्रिया के अंतर्गत समास द्वारा न्यूनतम शब्दों से अधिकतम अर्थ/भाव का प्रकटीकरण होता है।
उदाहरण के तौर पर -नीलकंठ
नीलकंठ शब्द नील और कंठ दो शब्दों के योग से बना है जिसका अर्थ है भगवान् शिव
समास शब्द ‘सम’ उपसर्ग और ‘अस’ धातु से मिलकर बना होता है जिसका अर्थ वही होता है जो संक्षेप का अर्थ होता है
अर्थात दो अथवा दो से अधिक शब्दों का ऐसा तालमेल जिनको एक साथ रखने पर उनके आकार में कमी आ जाये तथा एक उसका सार्थक शब्द मिले,समास कहलाता है।
उदाहरण के तौर पर दूधसागर अर्थात दूध का सागर
इसमें संबंधकारक के अंतर्गत का प्रत्यय का लोप हुआ है जिससे शब्द दूधसागर पूर्णत: स्वतंत्र शब्द बना है।
समास की विशेषताएं (Characteristics of Samas)-
- समास के अंतर्गत न्यूनतम दो पदों/शब्दों का संयोग होता है
- समास मुख्य रूप से सजातीय पदों का ही होता है जैसे पाठशाला पद तो संगत है परन्तु मजहबशाला विजातीय शब्द है
- पदों के समामेलन में प्रयुक्त विभक्ति और प्रत्यय का पूर्णत: समापन हो जाता है
- पदों/शब्दों के परस्पर तालमेल से एक नए पद/शब्द का आविर्भाव होता है
समास में पदों/शब्दों के कितने प्रकार होते हैं?
समास में दो प्रमुख पद होते हैं – पूर्वपद और उत्तरपद
पूर्वपद:-
समास के पहले शब्द या शब्दांश को पूर्व पद कहते हैं।
उत्तरपद:-
समास के अंतर्गत दूसरे पद/शब्द को उत्तर पद कहते हैं।
इसके अलावा समास के अंतर्गत सहायक पद भी होते हैं जिनको कि हिंदी व्याकरण के अंतर्गत ज्यादा वरीयता नही दी गई है।
उदाहरण के लिए– देशसेवा अर्थात देश के लिए/प्रति सेवा।
इसमें देश शब्द पूर्वपद,सेवा शब्द उत्तरपद तथा ‘के लिए’ शब्द सहायक पद है।
समास-विग्रह की परिभाषा:-
सामासिक शब्दों के अलग थलग होने पर वे अपने मूल रूप में पुन: वापस आ जाते हैं। यह प्रक्रिया समास-विग्रह कहलाती है
उदाहरण के तौर पर ;
- यथाशीघ्र – जितना शीघ्र हो
- आजन्म – जन्म पर्यंत
- बतौर – तौर के साथ
समास के भेद(समास के प्रकार ):-
मूल रूप से समास के चार भेद और 15 उपभेद होते हैं हालांकि कभी-कभी समास के प्रकार 6 तरह के माने जाते हैं इन 6 प्रकारों को निम्नलिखित श्लोक के माध्यम से भी समझा जा सकता है-
द्वन्द्वो द्विगुरपि चाहं मद्गेहे नित्यमव्ययीभावः ।
तत्पुरुष कर्मधारय येनाहं स्यां बहुव्रीहिः ॥
समास के 6 प्रकार(भेद) निम्नवत हैं –
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वंद्व समास
- बहुब्रीहि समास
1)अव्ययीभाव समास:-
इस समास के अंतर्गत पहला पद/शब्द अव्यय और दूसरा पद संज्ञा होता है सम्पूर्ण पदों में अव्यय वाले पद की ही प्रधानता होती है तथा दूसरा पद गौण रहता है इस समास के अंतर्गत समस्त पद क्रिया-विशेषण के तौर पर प्रतीत होता है।
उदाहरण के तौर पर-
आजीवन – जीवन भर
यथार्थ – अर्थ के अनुसार
उपकूल – कूल के निकट
2)तत्पुरुष समास:-
जिस समास का अंतिम पद (उत्तर पद) की प्रधान होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इसमें बाद वाले पद/शब्द की प्रधानता रहती है।
उदाहरण के तौर पर-
- स्वर्गप्राप्त – स्वर्ग को प्राप्त
- विधानसभा – विधान के लिए सभा
- बलहीन – बल से हीन
- राजभवन – राजा का भवन
तत्पुरुष समास के भेद (प्रकार):-
तत्पुरुष समास के भी 6 प्रकार होते हैं
1 ) द्वितीया तत्पुरुष (कर्म तत्पुरुष -को):- उदाहरण के तौर पर
- माखनचोर – माखन को चुराने वाला
- सुख प्राप्त – सुख को प्राप्त करने वाला
- गृहगत – घर को आने वाला
2 ) तृतीया तत्पुरुष (करण तत्पुरुष -से):- उदाहरण के तौर पर
- रोगग्रस्त – रोग से ग्रस्त
- मदांध – मद से अँधा
- प्रकाशयुक्त – प्रकाश से युक्त
3 )चतुर्थी तत्पुरुष (सम्प्रदान तत्पुरुष -के लिए ):- उदाहरण के तौर पर
- युद्धभूमि – युद्ध हेतु भूमि
- देशभक्ति – देश के लिए भक्ति
- सभाभवन – सभा के लिए भवन
4)पंचमी तत्पुरुष (अपादान तत्पुरुष -से ):- उदाहरण के तौर पर
- बलहीन – बल से हीन
- गुणहीन – गुण से हीन
5)षष्ठी तत्पुरुष (संबंध तत्पुरुष – का,की,के,को):- उदाहरण के तौर पर
- रामराज्य – राम का राज्य
- देशसेवा – देश की सेवा
- सुर्यपुत्र – सूर्य के पुत्र
6)सप्तमी तत्पुरुष (अधिकरण तत्पुरुष – में,पे,पर):- उदाहरण के तौर पर
- वनवास – वन में वास
- स्वर्गवासी – स्वर्ग में बसने वाला
- ग्रामवास – ग्राम में वास
3 )कर्मधारय समास:-
इस समास में सभी शब्दों का महत्त्व समान रूप से होता है चाहे वो पूर्वपद हो अथवा उत्तरपद। इसके अंतर्गत पूर्वपद विशेषण होता है तथा उत्तरपद विशेष्य अथवा संज्ञा होता है। इसमें दोनों पदों की प्रधानता होती है।
उदाहरण के तौर पर;
- मृगनयन – हिरन के समान नयन
- पीताम्बर – पीला है अम्बर जिसका
- नीलकमल – नीला है कमल जो
- महाकवि – महान है कवि जो
जब इस समास के अंतर्गत एक शब्द उपमान(जिसकी विशेषता बतायी जाती है) तथा दूसरा शब्द उपमेय अर्थ जिस शब्द के द्वारा विशेषता बतायी जाती है तो यह कर्मधारय समास होता है इसके अंतर्गत जब समास विग्रह किया जाता है तो सदृश शब्द का उपयोग होता है
उदाहरण के तौर पर;
- चंद्रमुख – चन्द्रमा के सदृश मुख वाला
- नरसिंह – नर के सदृश सिंह
- लौहपुरुष – लोहे के सदृश पुरुष
कर्मधारय समास के भेद/प्रकार :-
कर्मधारय समास के भी चार प्रकार होते हैं
1)विशेषण पूर्वपद उदाहरण के तौर पर :- कालाहिरण अर्थात काला हिरण
2) विशेष्य पूर्वपद उदाहरण के तौर पर :-कुमार – कुंवारा लड़का
3)विशेष्योभय पद उदाहरण के तौर पर :-जम्बुवृक्ष –जामुन का वृक्ष
4)विशेषणोभय पद उदाहरण के तौर पर :-शीतोष्ण – ठंडा और गर्म
4)द्विगु समास:-
इसके अंतर्गत सामासिक पद का प्रथम शब्द /पूर्व पद संख्यावाचक होता है और अन्तिमपद/उत्तर पद संज्ञा होता है ,इसे ही द्विगु समास कहते हैं।
उदाहरण के तौर पर;
- दोपहर – दो प्रहारों के समाहार वाला
- नवरत्न – नौ रत्नों के समाहार वाला
- त्रिभुज – तीन भुजाओं के समाहार वाला
- चतुर्भुज – चार भुजाओं के समाहार वाला
यहाँ समाहार से तात्पर्य समूह/समुदाय से है।
द्विगु समास के भेद/प्रकार :-
द्विगु समास दो प्रकार के होते हैं।
1) समाहार द्विगु समास:- उदाहरण के तौर पर अष्टाध्यायी अर्थात आठ अध्याय का समाहार
2)उपपद प्रधान द्विगु समास:-उदाहरण के तौर पर पंचपात्र अर्थात पांच पात्र
5)द्वन्द समास:-
जिस समास के दोनों ही पद प्रधान होते हैं और दोनों ही पद संज्ञाएँ अथवा विशेषण होती हैं,द्वन्द समास कहलाता है। इसके सामासिक पदों का समास विग्रह करने पर सहायक पदों के रूप में “और” अथवा “या” जैसे योजक शब्द मिलते हैं।
उदाहरण के तौर पर;
- पाप-पुण्य – पाप और पुण्य
- माता-पिता – माता और पिता
- सीता-राम – सीता और राम
- सुबह-शाम – सुबह और शाम
द्वन्द समास के प्रकार/भेद :-
द्वंद समास के तीन प्रकार होते हैं।
1)समाहार द्वंद्व समास:-
इस समास के अंतर्गत समास के पदों के अर्थ के अतिरिक्त उसी प्रकार के अन्य अर्थ की जानकारी होती है।
जैसे;
रोटी-दाल (भोजन के प्रमुख पदार्थ के रूप में )
घर-द्वार (परिवार के अर्थ में घर-द्वार वगैरह)
2)इतरेतर द्वंद्व समास:-
इस समास के अंतर्गत दोनों पदों के मध्य और,तथा आदि जैसे योजक शब्दों का लोप होता है।
जैसे;
राजा-रंक (राजा और रंक)
सीता-राम (सीता और राम)
पति-पत्नी (पति और पत्नी)
3)वैकल्पिक द्वंद्व समास:-
इस समास के अंतर्गत दोनों पदों के मध्य या,अथवा आदि जैसे योजक वैकल्पिक शब्दों का लोप होता है
जैसे;
ऊंचा-नीचा (ऊंचा या नीचा)
पाप-पुण्य (पाप या पुण्य)
भूखा-प्यासा (भूखा या प्यासा)
6)बहुव्रीहि समास:-
ऐसा सामासिक संयोग जिसमें निर्मित शब्द का कोई भी पद प्रधान नही होता है तथा दोनों शब्द मिलकर एक नया अर्थ प्रकट करते हैं उसे बहुव्रीहि समास कहा जाता है।अर्थात बहुब्रीहि समास के अंतर्गत विशेषण और विशेष्य का पद होते हुए भी और कर्मधारय समास जैसी स्थिति होते हुए भी एक अलग अर्थ निकल जाता है।
उदाहरण के तौर पर;
दशानन – दस है आनन जिसके अर्थात रावण
लम्बोदर – लम्बा है उदर जिसका अर्थात गणेश जी
पीताम्बर – पीला है अम्बर जिसका अर्थात कृष्ण जी
बहुब्रीहि समास के भेद/प्रकार:-
1)समानाधिकरण बहुब्रीहि:- इसमें समान विभक्ति वाले शब्दों का समामेलन होता है
जैसे-दशमुख (दस मुखों वाला अर्थात रावण)
एकदन्त (एक दांत वाला अर्थात गणेश जी )
2)तुल्ययोग बहुब्रीहि:-इसमें पहला पद सह बोधक होता है
जैसे-सचेत (चेतना के साथ है जो)
सपरिवार (परिवार के साथ है जो)
3)व्यतिहार बहुब्रीहि:-इसमें घात-प्रतिघात सूचक पद होता है
जैसे-मुक्कामुक्की (अर्थात जो लड़ाई मुक्को से हुई हो)
बाताबाती (अर्थात जो झगडा बातों बातों से हुआ हो)
4)व्यधिकरण बहुब्रीहि:- असमान विभक्ति वाले शब्दों को
जैसे-चंद्रशेखर (चंद्रमा है सिर पर जिसके अर्थात शंकर जी)
गिरिधर (गिरि को धारण किये हैं जो अर्थात कृष्ण जी )
7)नञ समास:-
नञ समास के अंतर्गत पूर्वपद/प्रथम शब्द किसी उपसर्ग की तरह प्रतीत होता है तथा अंतिम शब्द/उत्तरपद के लिए यह विरोधाभास या विपरीत अर्थ का भाव व्यक्त करता है।
उदाहरण के लिए,
असम्भव (जो सम्भव न हो)
असोचनीय (जो सोचनीय न हो )
अव्ययीभाव समास की परिभाषा क्या है ?
तत्पुरुष समास की परिभाषा और उनके भेद/प्रकार क्या-क्या हैं?
कर्मधारय समास की परिभाषा और उनके भेद/प्रकार क्या-क्या हैं?
द्विगु समास की परिभाषा और उनके भेद/प्रकार क्या-क्या हैं?
द्वन्द समास की परिभाषा और उनके भेद/प्रकार क्या-क्या हैं?
बहुब्रीहि समास की परिभाषा और उनके भेद/प्रकार क्या-क्या हैं?
Conclusion
आशा करता हूँ कि हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) से सम्बंधित यह आर्टिकल समास किसे कहते है?(Samas Kise Kahate Hain?) | समास के भेद तथा उनकी परिभाषा और उदाहरण (Samas ke Bhed,Paribhasha aur udaahran) आपके समास से सम्बन्धी सभी संदेहों को दूर करने वाला तथा इससे सम्बद्ध सभी कॉन्सेप्ट/अवधारणा को स्पष्ट करने वाला होगा यह आर्टिकल विविध प्रतियोगी परीक्षा जैसे UPPSC,UPPSC RO/ARO,UPPSC-PET,UPSI,UP LEKHPAL आदि में क्वालीफाई/उत्तीर्ण होने में सहायक सिद्ध होगा। आप इसको अपने अन्य साथियों के साथ साझा कर सकते हैं,धन्यवाद
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